सफाई
(i)सामान्य स्वच्छता:
छावनी क्षेत्र में सामान्य स्वच्छता की स्थिति ठीक ठाक से रखा गया. व्दार व्दार से कचरा संग्रहण का कार्य दो ऑटो रिक्शा हाइड्रोलिक डिब्बे के माध्यम से और एक साइकिल रिक्शा के व्दारा किया गया. समय समय पर नालियों की सफाई, कीटनाशक का छिड़काव, और फोगिंग के कारन छावनी क्षेत्र में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे रोगों से निजात मिली.
औरंगाबाद छावनी परिषद में स्वच्छ भारत मिशन का संदेश को फैलाया गया और स्वच्छता दूत (चार्ली) के व्दारा सार्वजनिक रूप से प्लास्टीक का उपयोग एवं स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य किया गया और खुले में शौच और सड़क कचरा फेकते हुए पाएं गए लोगो पर जुर्माना लगाया गया| औरंगाबाद छावनी परिषद क्षेत्र को गृह और शहरी व्यवहार मंत्रालय (आवास और शहरी क्षेत्रों के मंत्रालय) के द्वारा खुले मै शौच मुक्त (ओडीएफ) प्रमाणित किया|
(ii) पॉलीथीन के उपयोग पर प्रतिबंध :
छावनी के निवासियों तथा प्रत्येक दूकानदार को पॉलिथीन के उपयोग और हानि तथा प्रतिबंध के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम लिया गया और उस के उपयोग करने पर लगनेवाले जुर्माना के बारे में तथा जागरूकता के फ़ैलाने हेतु पर्चे वितरित किए गए| पॉलिथीन बैग के उपयोग को रोकने के लिए स्वच्छता विभाग के कर्मचारीयों व्दारा औचक जांच की जा रही है|
(iii)ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के लिए किए गए प्रयास:
छावनी नागरी क्षेत्र में व्दार व्दार कचरा संग्रह शुरू किया गया है|ऑटो रिक्शा हाइड्रोलिक डिब्बे के माध्यम नागरिक क्षेत्र में व्दार व्दार कचरा संग्रह शुरू किया गया| एक एनजीओ-नागरिक प्रतिक्रिया टीम प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए जुड़ा हुआ है | कर्मचारी को प्रशिक्षण को प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ स्रोत पर कूड़े के पृथक्करण के लिए निवासियों के बीच जागरुकता पैदा करने का कार्य एजेंसियों ने किया | नागरी और सैन्य क्षेत्र में व्दार व्दार से कचरा उठाना एवं कचरा संग्रह लागू करने से स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है | यह कूड़ेदान को खत्म करने और उनकी गिनती को कम करने में भी विकसित हुआ है। इस प्रकार एकत्रित किए गए कचरे को ट्रेन्चिंग ग्राउंड पर जमा किया जाता है| प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कूड़ा और ठोस कचरे को ट्रेन्चिंग ग्राउंड के भूमि (सर्वे नंबर 207/1) में इक्कठा करने के लिए साइट के लिए अनुमोदन प्राप्त हुआ है| अलग-अलग जैविक कूड़े को पंक्तियों में लगाकर, उस पर तरल रूप में रोजाना पानी से छिड़कने के बाद जैविक संस्कृति (माइक्रोबियल) के नियमित रूप से छिड़काव के साथ सप्ताह में एक बार जेसीबी की मदद से इस जीवक कूड़े को पंक्तियों में ही बदला जाता है। गड्ढों से पुराने मिश्रित कूड़े को निकला गया है और विंड रो (पंक्तियों) में लगाकर यही प्रक्रिया को अपनाया है| यह मैनुअल विधि और इस प्रक्रिया को व्यवस्थित और समयनिष्ठता का पालन करते हुए कचरे के ढेर को चार से पांच सप्ताह में मिटटी के समान होता गड्ढों में कचरे को डंप करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भूमि को पुनः प्राप्त किया जा सकता है और राजस्व उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जा सकता है अजैविक पदार्थ अलग से इकठा किया जाता है और एजेंसी के व्दारा बेच दिया जाता है| रिपोर्ट के अवधि के दौरान इस कार्य को ठेके पर दिया गया है
एक निजी एजेंसी के माध्यम से छावनी सामान्य अस्पताल के लिए बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन और जैव-चिकित्सा कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू की गई है|
(iv)(i) वृक्षारोपण:
वर्ष के दौरान ट्रेन्चिंग ग्राउंड और छावनी क्षेत्र के विविध स्थानों पर कुल 4500 पौधे लगाए गए। पौधों की जीवन रक्षा दर 90% है|